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रविन्द्रनाथ टैगोर वर्तमान समय की आवश्यकता

दो राष्ट्रों का राष्ट्रगान लिखने वाले और एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861 को कलकत्ता में हुआ। इनके पिता देवेंद्र नाथ टैगोर और माता शारदा देवी थी। ये एक महान दार्शनिक, साहित्यकार, संगीतकार, लेखक और विचारों के धनी व्यक्ति थे। उनके पिता ब्रहम समाज से जुड़े थे तो इसका प्रभाव इन पर देखा गया। फिर भी सनातन धर्म के प्रचार के लिए ये आगे दिखाई दिए। इनके सबसे बड़े भाई सत्येंद्र नाथ टैगोर देश के पहले आईसीएस थे। इनके एक भाई ज्योतिप्रसाद टैगोर नाटककार और एक बहन स्वर्णदेवी टैगोर कवयित्री थी। स्वभाविक रूप से टैगोर जी पर बचपन से ही इनका प्रभाव पड़ा। अतिराष्ट्रवाद के कट्टर विरोधी थे टैगोर  टैगोर अतिराष्ट्रवाद के कट्टर विरोधी थे। उनका मानना था कि राष्ट्रवाद मानव द्वारा खींची गई रेखाएं हैं। हमें राष्ट्र से ऊपर मानवता के बारे में सोचना चाहिए और वसुधैव कुटुंबकम की नीति का पालन करना चाहिए। अपनी पुस्तक ‘नेशनलिज्म’ में लिखते हैं कि राष्ट्रवाद पश्चिमी अवधारणा है। राष्ट्र राजनीतिक और आर्थिक लोगों का समूह है जहां लोग मशीनीकरण के लिए काम करते हैं। यहां पर लोगों के हितों...
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YEAR ENDER : 2022 एक नज़र में

साल 2022 चंद दिनों में अलविदा होने वाला है और 2023 दस्तक देने वाला है। जरूरी है कि इस मौके पर उन घटनाओं को याद किया जाए जिनके लिए 2022 को हमेशा याद किया जाएगा। साल 2022 में कुछ मशहूर हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कहा तो श्रद्धा वालकर के हत्याकांड ने देश के दिल को दहला दिया। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि आखिर राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और अंतरराष्ट्रीय जगत की ऐसी कौन सी घटनाएं रहीं जिनके लिए 2022 को हमेशा याद किया जाएगा... निधन साल 2022 में देश-दुनिया की कुछ मशहूर हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कह दिया। 'स्वर कोकिला' कही जाने वाली गायिका लता मंगेश्कर ने 6 फरवरी 2022 को अंतिम सांस ली वहीं जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके अलावा 8 सितंबर को ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय हमेशा के लिए मौन हो गईं। महारानी ऐलिजाबेथ द्वितीय के निधन के बाद उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स को ब्रिटेन का उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। 2022 में ही यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और कथक कलाकार बिरजू महाराज जैसी नामचीन हस्तियों ने दुनिया को अलविदा कह दिया। परिव...

क्या 2022 में कुपोषण से मुक्त हो पाएगा भारत?

विगत महीने ‘मन की बात’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधन के दौरान पोषण माह का जिक्र किया था। इस सितंबर माह में देश 5वां राष्ट्रीय पोषण माह मना रहा है। पोषण माह का उद्देश्य जमीनी स्तर पर पोषण के प्रति जागरूकता पैदा करना है। आपको बता दें कि पोषण अभियान के अंतर्गत हर साल सितंबर माह में पोषण माह मनाया जाता है। बात पोषण अभियान की करें तो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर 8 मार्च 2018 को राजस्थान के झुंझुनू जिले से स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी शुरुआत की थी। हालांकि 2021-22 के बजट में केंद्र सरकार ने पोषण अभियान में कुछ और योजनाओं को मिलाकर ‘पोषण अभियान 2.0’ की घोषणा की थी। इस अभियान का उद्देश्य 2022 तक स्टंटिंग, वेस्टिंग और जन्म के वक्त शिशु का कम वजन प्रत्येक में हर साल दो प्रतिशत की कमी लाना है। साथ ही साथ एनीमिया से ग्रसित बच्चों और महिलाओं की संख्या में प्रति वर्ष तीन प्रतिशत की कमी लाना है। लेकिन 2022 कुछ महीनों बाद समाप्त होने वाला है, क्या 2022 के बाद देश में कुपोषण खत्म हो जाएगा? शायद राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण–5 जो भारत सरकार...

ग्राउंड रिपोर्ट : पलवल नगर परिषद चुनाव

हरियाणा के पलवल जिले में नगर परिषद चुनावों के लिए मतदान छिट-पुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। मतदान के बाद सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। चुनाव के नतीजे 22 जून को घोषित किए जांएगे। मतदान के दौरान लोगों में खासा उत्साह नजर आया। सुबह के समय मतदान की रफ्तार धीमी रही लेकिन दोपहर में मौसम खुशनुमा होने के बाद मतदान की गति बढ़ गई। शाम पांच बजे तक लगभग 62 फीसदी मतदान हो गया। भाजपा के चेयरमैन प्रत्याशी डॉ यशपाल ने सरस्वती कॉलेज के पोलिंग बूथ में मतदान किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान इंद्र की कृपा आज पलवल शहर पर बरसी हैं उसी तरह 22 जून को भी उन पर कृपा बरसेगी। निश्चित ही पलवल की जनता उन्हें इन चुनावों में आशीर्वाद देगी। हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री करण दलाल ने न्यू कॉलोनी पोलिंग बूथ में मतदान किया। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि इन चुनावों में भाजपा की हार निश्चित है।  मतदान के लिए आए युवाओं में काफी उत्साह नजर आया। युवाओं ने कहा कि उन्होंने शहर की समस्याओं को ध्यान में रखकर मतदान किया हैं। मतदान प्रक्रिया में महिलाओं और बुर्जग...

जानिए विश्व व्यापार संगठन के मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में किन मुद्दों पर होगी चर्चा

विश्व व्यापार संगठन ( डब्ल्यूटीओ) का 12वा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन 12 जून से जिनेवा में शुरू होने जा रहा है। यह सम्मेलन 15 जून तक चलेगा। डब्ल्यूटीओ के इस सम्मेलन में भारत के व्यापार और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल हिस्सा लेंगे। इस मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में मत्स्य सब्सिडी, खाद्य सुरक्षा सब्सिडी,कोविड-19 वैक्सीन और कोविड-19 उपकरणों पर बौद्धिक संपदा का अधिकार और ई-कॉमर्स जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। गौरतलब है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका द्वारा अक्टूबर 2020 में डब्ल्यूटीओ में प्रस्ताव दिया गया कि कोविड-19 वैक्सीन और कोविड-19 के इलाज के लिए जरूरी उपकरणों पर किसी प्रकार का पेटेंट लागू नहीं हो। भारत चाहता है कि कोविड-19 की वैक्सीन के निर्माण पर किसी देश का एकाधिकार नहीं रहे। इस प्रस्ताव को अब तक अमेरिका सहित साठ से अधिक देश समर्थन दे चुके हैं। इस सम्मेलन में डब्ल्यूटीओ इस मुद्दे पर चर्चा करेगा की पेटेंट दिया जाए या नहीं दिया जाए। इस सम्मेलन में खाद्य सुरक्षा सब्सिडी को लेकर भी चर्चा संभावित है। भारत में किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी का विकसित देश लगातार विरोध करते रहे हैं। 2013 में बाली में आयोजित स...

सुपर– 30 के आनंद कुमार की राह पर चले नितिन मुकेश

  बच्चों को पढ़ाते नितिन मुकेश आपने बिहार स्थित सुपर –30 के संस्थापक आनंद कुमार का नाम तो सुना होगा। उन पर बनी फिल्म सुपर –30 भी देखी होगी। लेकिन क्या आप सोच सकते हैं दिल्ली में भी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो आनंद कुमार की राह पर चल रहे हैं। नितिन मुकेश नाम के एक व्यक्ति जो पिछले दो साल से दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। नितिन मुकेश पहले से ही पेशे से अध्यापक रहे हैं। पहले प्राइवेट शिक्षण संस्थान में पढ़ाते थे। घर पर बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते थे। जब उनसे से पूछा गया कि आपको इसकी प्रेरणा कहां से मिली तो उन्होंने बोला कि मैं समाज के वंचित तबके के लिए कुछ करना चाहता हूं। इसलिए मैं रोजाना इन झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाता हूं। नितिन मुकेश खेल गांव के पास स्थित यमुना घाट के क्षेत्र में रोजाना उन बच्चों को पढ़ाते हैं। नितिन मुकेश मूलत: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से हैं। परिवार में छह सदस्य हैं। अब दिल्ली में नौकरी भी कर रहे हैं और बच्चों को पढ़ाने का काम भी कर रहे हैं। मुकेश जी का मानना है शिक्षा का उद्देश्य केवल पढ़ना,लिखना नहीं होता। बल्कि बच्चो...

क्या संविधान के आदर्शों पर चल रही हैं आज की सरकारें?

                        कोई भी संविधान कितना अच्छा क्यों ना हो वह अंतत: बुरा होगा अगर उसे इस्तेमाल में लाने वाले लोग बुरे हैं और संविधान कितना भी बुरा क्यों ना हो उससे अच्छा संविधान नहीं होगा अगर उसे इस्तेमाल में लाने वाले लोग अच्छे हैं। ये शब्द है डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के संविधान सभा में दिए गए अंतिम भाषण के। डॉ आंबेडकर जिन्हें भारत के संविधान निर्माता और शिल्पकार माना जाता है। 14 अप्रैल 1891 को जन्मे डॉ आंबेडकर को 29 अगस्त 1947 को संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। दो साल 11 महीने और 18 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के द्वारा संविधान को अपनाया गया। आज डॉ अंबेडकर जी की जयंती के मौके पर और आजादी के अमृत महोत्सव के समय में संविधान के आदर्शों की बात जरूरी है। क्या जिन आदर्शों पर इस संविधान को बनाया गया क्या आज की सरकारें उन आदर्शों पर चल रही हैं? संविधान की प्रस्तावना में संप्रभुता,समाजवाद ,धर्मनिरपेक्षता जैसे आदर्शों की बात की गई हैं। क्या आजादी के 75 वर्षों में हम भारत को इन आदर...