सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

कांग्रेस को खुद की खुद से समीक्षा की जरूरत : संजय मग्गू

उत्तराखंड राज्य के चुनाव नतीजों पर देश रोजाना के प्रधान संपादक और पलवल दैनिक जागरण, अमर उजाला के भूतपूर्व ब्यूरो चीफ संजय मग्गू के साथ साक्षात्कार के प्रमुख अंश...


संजय मग्गू

सवाल – सर अभी तक के नतीजों में भाजपा को बढ़त के क्या कारण आप मानते हैं। दो बार मुख्यमंत्री का बदलना या भाजपा की विकास की रणनीति?

जवाब – पहले मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत उनको लेकर लोगों में विरोधाभास था जब पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया लगा कि भाजपा का अच्छा फैसला नहीं है। आज के परिणामों से बात स्पष्ट है कि पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में भाजपा के लिए जमीन तैयार कर दी है। 

सवाल–डबल इंजन सरकार का होना किसी भी राज्य के चुनाव को जीतने के लिए  कितना महत्वपूर्ण होता हैं?

जवाब–यह बात तो ठीक है कि जिसकी केंद्र में सरकार होती है लोग उसको प्राथमिकता देते ही हैं। यह पहली बार नहीं है आप उत्तर प्रदेश,गोवा,मणिपुर का भी उदाहरण देख सकते हैं। डबल इंजन सरकार से राज्य के चुनावों में 10 से 15 सीटों का फायदा तो होता ही हैं।

सवाल – पलायन, बेरोजगारी, शिक्षा,पहाड़ों का विकास कांग्रेस की चुनावों में रणनीति रही लेकिन इसके बावजूद भी कम सीटें आई। कांग्रेस की हार के पीछे क्या कारण है?

जवाब–मेरा मानना है कि कांग्रेस को खुद की खुद से ही समीक्षा करने की जरूरत है। आप देखिए पहले से ही इनके रसगुल्ले फूट रहे थे। कई राज्यों में पहले से ही पर्यवेक्षक भेज दिए गए। कहीं भी कुछ नहीं मिल पाया इनको। अब कांग्रेस को एक ओवरऑल समीक्षा की जरूरत है।

सवाल– कांग्रेस से उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के हारने के पीछे क्या कारण मानते हैं ?

जवाब –हरीश रावत पहले पंजाब में लगे रहे पंजाब में जो लुटिया डूबी है कांग्रेस की उसके पीछे हरीश रावत हैं। हरीश रावत अपने आप को बड़ा दिखाने की कोशिश कर रहे थे। मेरा मानना है कि जनता जनार्दन से बड़ा कोई नहीं होता हरीश रावत ने खुद को और अपनी पार्टी को डुबो दिया।

सवाल– उत्तराखंड में परंपरा रही है कि एक बार कांग्रेस एक बार बीजेपी। आज यह परंपरा टूट गई। परंपरा के टूटने की क्या वजह मानते हैं आप?

जवाब–यह परंपरा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों में टूटी है। यह कोई परंपरा नहीं है लोग विकासवादी राजनीति को प्राथमिकता दे रहे हैं। जहां विकास और लॉ एंड ऑर्डर मजबूत होता है वहां सरकार बनी रहती है अन्यथा गिर जाती है। आप पंजाब के नतीजों से यह देख सकते हैं।

सवाल– फ्री की राजनीति और विकास की राजनीति के बारे में आपकी क्या राय है?

जवाब– सभी सरकारें अपने नागरिकों को अच्छी से अच्छी सुविधाएं देना चाहती हैं। फ्री की राजनीति हर सरकार करती है। संपन्न लोगों के लिए जरूरी है लॉ एंड ऑर्डर बना रहे और जो पिछड़ा आदमी हैं उसके लिए जरूरी है सरकार उसकी तरफ ध्यान दें। जो सरकार इन चीजों की तरफ ध्यान देती है जनता उसी को चुनती है। 

सवाल – सर, क्या इन चुनावों के नतीजों से हम माने कि बीजेपी आम चुनावों में जीत की हैट्रिक लगा देगी?

जवाब–आज के समय में मोदी के समकक्ष कोई नेता नहीं है। मैं किसी के पक्ष में नहीं बोल रहा हूं। तीसरा या चौथा मोर्चा अंजाम पर पहुंचने से पहले ही धूल में मिला हुआ नजर आता है। हालांकि मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं। आज के हालात को देखते हुए लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के सामने कोई चुनौती नहीं है।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ग्राउंड रिपोर्ट : पलवल नगर परिषद चुनाव

हरियाणा के पलवल जिले में नगर परिषद चुनावों के लिए मतदान छिट-पुट घटनाओं को छोड़कर शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। मतदान के बाद सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई। चुनाव के नतीजे 22 जून को घोषित किए जांएगे। मतदान के दौरान लोगों में खासा उत्साह नजर आया। सुबह के समय मतदान की रफ्तार धीमी रही लेकिन दोपहर में मौसम खुशनुमा होने के बाद मतदान की गति बढ़ गई। शाम पांच बजे तक लगभग 62 फीसदी मतदान हो गया। भाजपा के चेयरमैन प्रत्याशी डॉ यशपाल ने सरस्वती कॉलेज के पोलिंग बूथ में मतदान किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान इंद्र की कृपा आज पलवल शहर पर बरसी हैं उसी तरह 22 जून को भी उन पर कृपा बरसेगी। निश्चित ही पलवल की जनता उन्हें इन चुनावों में आशीर्वाद देगी। हरियाणा सरकार में पूर्व मंत्री करण दलाल ने न्यू कॉलोनी पोलिंग बूथ में मतदान किया। मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि इन चुनावों में भाजपा की हार निश्चित है।  मतदान के लिए आए युवाओं में काफी उत्साह नजर आया। युवाओं ने कहा कि उन्होंने शहर की समस्याओं को ध्यान में रखकर मतदान किया हैं। मतदान प्रक्रिया में महिलाओं और बुर्जग...

क्या है देवोत्थान एकादशी का महत्व?

 रोहित भारतीय समाज में विभिन्न त्योहारों का अलग -अलग महत्व है। इसी क्रम में देवोत्थान एकादशी अन्य एकादशियों की तुलना में एक विशेष महत्व रखती है। इसे देवउठनी एकादशी भी कहते हैं। कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान एकादशी कहते हैं। सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान विष्णु चार मास की निद्रा में रहते हैं। इस निद्रा काल में कोई शुभ कार्य नहीं होता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ध्यान निद्रा से जागते हैं। माना जाता है कि हमारी आत्मा में भगवान का वास होता है। यह हमारी आत्मा के जागरण का पर्व है। यह पर्व हमें संदेश देता है कि हम अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक हो।