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सुपर– 30 के आनंद कुमार की राह पर चले नितिन मुकेश

  बच्चों को पढ़ाते नितिन मुकेश आपने बिहार स्थित सुपर –30 के संस्थापक आनंद कुमार का नाम तो सुना होगा। उन पर बनी फिल्म सुपर –30 भी देखी होगी। लेकिन क्या आप सोच सकते हैं दिल्ली में भी एक ऐसे व्यक्ति हैं जो आनंद कुमार की राह पर चल रहे हैं। नितिन मुकेश नाम के एक व्यक्ति जो पिछले दो साल से दिल्ली में झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। नितिन मुकेश पहले से ही पेशे से अध्यापक रहे हैं। पहले प्राइवेट शिक्षण संस्थान में पढ़ाते थे। घर पर बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाते थे। जब उनसे से पूछा गया कि आपको इसकी प्रेरणा कहां से मिली तो उन्होंने बोला कि मैं समाज के वंचित तबके के लिए कुछ करना चाहता हूं। इसलिए मैं रोजाना इन झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों को पढ़ाता हूं। नितिन मुकेश खेल गांव के पास स्थित यमुना घाट के क्षेत्र में रोजाना उन बच्चों को पढ़ाते हैं। नितिन मुकेश मूलत: उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले से हैं। परिवार में छह सदस्य हैं। अब दिल्ली में नौकरी भी कर रहे हैं और बच्चों को पढ़ाने का काम भी कर रहे हैं। मुकेश जी का मानना है शिक्षा का उद्देश्य केवल पढ़ना,लिखना नहीं होता। बल्कि बच्चो...

क्या संविधान के आदर्शों पर चल रही हैं आज की सरकारें?

                        कोई भी संविधान कितना अच्छा क्यों ना हो वह अंतत: बुरा होगा अगर उसे इस्तेमाल में लाने वाले लोग बुरे हैं और संविधान कितना भी बुरा क्यों ना हो उससे अच्छा संविधान नहीं होगा अगर उसे इस्तेमाल में लाने वाले लोग अच्छे हैं। ये शब्द है डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के संविधान सभा में दिए गए अंतिम भाषण के। डॉ आंबेडकर जिन्हें भारत के संविधान निर्माता और शिल्पकार माना जाता है। 14 अप्रैल 1891 को जन्मे डॉ आंबेडकर को 29 अगस्त 1947 को संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। दो साल 11 महीने और 18 दिन की कड़ी मेहनत के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा के द्वारा संविधान को अपनाया गया। आज डॉ अंबेडकर जी की जयंती के मौके पर और आजादी के अमृत महोत्सव के समय में संविधान के आदर्शों की बात जरूरी है। क्या जिन आदर्शों पर इस संविधान को बनाया गया क्या आज की सरकारें उन आदर्शों पर चल रही हैं? संविधान की प्रस्तावना में संप्रभुता,समाजवाद ,धर्मनिरपेक्षता जैसे आदर्शों की बात की गई हैं। क्या आजादी के 75 वर्षों में हम भारत को इन आदर...